दुःख की साथी सुख की साथी,
मेरी माँ है प्यारी-प्यारी,
मेरी माँ है जग में न्यारी।
मेरी माँ दीपक की भांति,
मुझपे डाली है उजियाली,
मेरी माँ है प्यारी-प्यारी,
मेरी माँ है जग में न्यारी।
मैं जब उन्नति पता तो,
मेरी माँ हर्षित हो जाती।
मेरी माँ है बज्र की भाँति,
मुझपे संकट कभी न आने देती।
मेरी माँ है प्यारी-प्यारी,
मेरी माँ है जग में न्यारी।
मेरी माँ मुझसे है कहती,
जब बीटा तू छोटा था,
तब तू बरी सरारत करता था,
जब मई तुझे डाँटती थी तब तू रूठ जाता था,
तब तुझे मैं सक्कर दे के फिर से हर्षित कर जाती थी।
मेरी माँ है प्यारी प्यारी,
मेरी माँ है जग में न्यारी।

(प्रकशित हुई राष्ट्रीय स्तर की एक मात्र पत्रिका भाषा-भारती में)


Shubham Poddar

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