हर किसी के जहन में तुम्हारा मुकद्दर नही होता दरिया का लहर सब समंदर नही होता होती है अब तो हर रोज सभाएं अब उसके यहां कोई स्वयंवर नही हो...
सबको मिल जाएंगी तेरी सजा सबको मेरी तकदीर थोड़ी है। ये दिल आँखों से घायल हुए हैं उसके पास शमशीर थोड़ी है। अंजाने राहों में अंजान...