अपने निकट संबंधियों का अपमान करने से जान जाती है.
दुसरो का अपमान करने से दौलत जाती है.
राजा का अपमान करने से सब कुछ जाता है.
एक ब्राह्मण का अपमान करने से कुल का नाश हो जाता है.
By offending a kinsman, life is lost; by offending others, wealth is lost; by offending the king, everything is lost; and by offending a brahmana one's whole family is ruined.
यह बेहतर है की आप जंगल में एक झाड के नीचे रहे, जहा बाघ और हाथी रहते है, उस जगह रहकर आप फल खाए और जलपान करे, आप घास पर सोये और पुराने पेड़ो की खाले पहने. लेकिन आप अपने सगे संबंधियों में ना रहे यदि आप निर्धन हो गए है.
It is better to live under a tree in a jungle inhabited by tigers and elephants, to maintain oneself in such a place with ripe fruits and spring water, to lie down on grass and to wear the ragged barks of trees than to live amongst one's relations when reduced to poverty.
ब्राह्मण एक वृक्ष के समान है. उसकी प्रार्थना ही उसका मूल है. वह जो वेदों का गान करता है वही उसकी शाखाए है. वह जो पुण्य कर्म करता है वही उसके पत्ते है. इसीलिए उसने अपने मूल को बचाना चाहिए. यदि मूल नष्ट हो जाता है तो शाखाये भी ना रहेगी और पत्ते भी.
The brahmana is like tree; his prayers are the roots, his chanting of the Vedas are the branches, and his religious act are the leaves. Consequently effort should be made to preserve his roots for if the roots are destroyed there can be no branches or leaves.
लक्ष्मी मेरी माता है. विष्णु मेरे पिता है. वैष्णव जन मेरे सगे सम्बन्धी है. तीनो लोक मेरा देश है.
My mother is Kamala devi (Lakshmi), my father is Lord Janardana (Vishnu), my kinsmen are the Vishnu-bhaktas (Vaisnavas) and, my homeland is all the three worlds.
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