मेरी महिला मित्रें/बहने/रिश्तेदार/अन्य साथी अवश्य पढ़ें |

ये साधारण पोस्ट नही है | यद्यपि मैंने कही से कॉपी ही किया है | मुझे ये पोस्ट वर्तमान दृष्टिकोण से बेस्ट लगा तो आप सभी के समक्ष पेस्ट कर दिया | बाकी आप लोग इसे कितना आत्मसात करते है आप जाने, लेकिन याद रखना बाहर के राक्षस से कम , घर/परिवार/रिश्तेदारों जैसे राक्षसों से विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है |

पढ़िए अब,
तुम्हारे पड़ोस में वो जो रिश्ते के भाई रहते हैं, और वो अंकल जो तुमको बहुत प्यार करते हैं... इतना प्यार कि अभी भी दुलार में गाल खींच लेते हैं तुम्हारे, कंधे दबा देते हैं, और बालों पर हाथ फिराने लगते हैं... 
अरे हाँ वही जो पहले गोद में ही उठा/बिठा लिया करते थे तुमको! उन्हीं की बात कर रहा हूँ. 

और वो बूढ़े बाबा, जो हर बार आते और जाते समय, बिना बात तुम्हारी पीठ पर 'शाबाशियाँ' देते रहते हैं, और ठठाकर हँसते हुए अपने निष्कलुष होने का प्रमाण सुनाते रहते हैं...

उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रहा करो तुम.

मैं जानता हूँ कई बार तुमको भी उनका ये 'दुलार' अजीब लगता है, और पसंद नहीं आता... पर तुम कह नहीं पाती. 

कहोगी भी कैसे? वो भैया, वो अंकल, तुम्हें इतना मानते जो हैं! और फिर 'हर आदमी गलत ही नहीं होता'!
बचपन से ही वो हमेशा तुम्हारे लिए चॉकलेट और कैंडी लाते रहे हैं! इतना तो वो अपनी बेटी को भी नहीं दुलारते, जितना तुमको दुलारते और चॉकलेट खिलाते हैं.

जानती हो! मैं चाहता हूँ कि तुम बस इसी एक बात को नोटिस करो, और इसकी वजह खोजो कि आखिर क्यों तुमको देखते ही उनके अंदर का वात्सल्य उमड़ने लगता है, जबकि उनकी अपनी बिटिया से उनके संवाद बड़े सीमित हैं.

आखिर क्या वजह है कि तुम्हारे लिए उनका ये दुलार बिना तुमको छुए पूरा ही नहीं होता?
जानती हो, बुरा मत मानना, पर तुम्हारे घरवाले, जो उन 'भैया' या 'अंकल' या 'फलाने बाबा' के इस दुलार पर खुशी से फूले नहीं समाते, वो एक नंबर के चूतिया   हैं.

हाँ, मैं ये बात तुम सब से कह रहा हूँ. कोई जरूरत नहीं तुम लोगों को 'सबसे प्यारी बिटिया' बने रहने की. 
साफ बोल दो कि "चॉकलेट टेबल पर रख दीजिए, ले लूंगी."
तब भी न मानें तो डाँट दो, जरूरत पड़े तो कंटाप धर दो.

असल में तुम्हारी इसी अच्छाई (चुप्पी) की तारीफ कर-कर के बचपन से तुम्हें 'टच' किया जाता रहा है, और तुम 'रानी बिटिया' और 'प्यारी गुड़िया' बने रहने के चक्कर में स्पर्शों की ये चुभन बर्दाश्त करती रही हो.
वो 'भैया' और 'अंकल' न सिर्फ सालों से स्पर्शसुख लेकर अपनी ठरक मिटा रहे हैं, बल्कि तुम्हारा टॉलरेंस भी चेक कर रहे हैं.

तो तुम लोग अपने महापराक्रमी भाई/पिता से बोलो कि सबसे पहले ये चूतियापे बन्द करवाएँ, वरना उनका दुनिया-जहान के लौंडों से तुम्हारी 'रक्षा' करना, और तुम्हारी पसंद के लड़के से तुमको 'बचा लेने' की सारी मेहनत और चालाकियाँ धरी रह जाएंगी.

Chandrashekhar Poddar

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