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फौलाद सा सीना लेकर एक बालक ने जन्म लिया। बचपन से ही कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति दिखलाई। और देश प्रेम की भावनाओ ने आज़दी की आग लगा दी।
कूदन पड़ा वो रण भूमि में उम्र जब उसकी थी 15। छोड़ छाड़ के घर अपना आज़दी की जंग में कूंद पड़ा। अंग्रेजो के घर में घुसकर उनको उसने ललकार दिया।
अंग्रेजो के मुंह से उसने मानो रोटियां छीन लिया। नाम उन्हें जब पता पड़ा कोई भगत सिंह रणभूमि आ पहुंचा। भगदड़ मच गई अंग्रेजी सेना में जब सुना नाम भगत सिंह का।। भगत सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में मेरी रचना उन्हें श्रध्दांजलि के रूप में समर्पित है। जय हिंद जय भारत
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