Ram Dhari Singh Dinar
 हो दिनकर युगो युगो तेरी जय जय कार
जनकवि युगचारण ‌दिनकर को अर्पित श्रद्धा सुमन
बेगूसराय की भू पर उदित
 निर्भीक लेखक कवि निबंधकार

हो दिनकर युगो युगो तेरी जय जय कार
निर्धन कृषक का तू वीर लाल
बनके मंदार दमके नभके भाल
अतिक्रमण करके हर सीमाकाल

हर कल्प में मुखरित तू बेमिसाल
राष्ट्रवाद मानववाद के बन के पैरोकार
आज आक्रोश के ज्वलंत लंबरदार
क्रांति पूर्ण संघर्ष विद्रोही साहित्यिक वार

अद्भुत पानी तेरी कलम की धार
निडर निरंतर अस्पष्ट युगीन चिंतन
सत्ताधारी प्रवृत्तियों का कर सिंधु मंथन
आधुनिकता संघ परंपराओं का गठबंधन

मानवीय संवेदना का कर सजीव चित्रण
भर ब्रिटिश  हुकूमत की हुंकार
 चुनौतीपूर्ण चेतना आशावाद स्वर
जनजागरण जोश वाणी स्वच्छंद प्रखर

नैतिकता धर्म ज्ञान और विज्ञान
बहरी शूज नीति राष्ट्रीय उत्थान
मनु वीडियो का जीवंत मार्मिक संज्ञान
युगचारण जनकवि प्रबल  राष्ट्भिमान 

काव्यचेतना गतिशी संचरणशील
 निराली
कुरुक्षेत्र रश्मिरथी रेणुका हो या उर्वशी
मनोवेग प्रचंड उमंग अतिरेक उत्साही

परशुराम की प्रतीक्षा या रसवंती सामधेनी
हर कविता काव्य ग्रंथ मुक्तक संकलन
गंभीर  खोजपूर्ण अद्भुत अनुपम
महान दार्शनिक चमत्कारिक साहित्यक

नमन तुझे कोटि-कोटि अनंत तक
स्वरचित ,गीता कुमारी "गुस्ताख "

Geeta Kumari

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