* उस यज्ञ के समान कोई शत्रु नहीं जिसके उपरांत लोगो को बड़े पैमाने पर भोजन ना कराया जाए. ऐसा यज्ञ राज्यों को ख़तम कर देता है. यदि पुरोहित यज्ञ में ठीक से उच्चारण ना करे तो यज्ञ उसे ख़तम कर देता है. और यदि यजमान लोगो को दान एवं भेटवस्तू ना दे तो वह भी यज्ञ द्वारा ख़तम हो जाता है.
* There is no enemy like a yajna (sacrifice) which consumes the kingdom when not attended by feeding on a large scale; consumes the priest when the chanting is not done properly; and consumes the yajaman (the responsible person) when the gifts are not made.
* तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो.
* My dear child, if you desire to be free from the cycle of birth and death, then abandon the objects of sense gratification as poison. Drink instead the nectar of forbearance, upright conduct, mercy, cleanliness and truth.
* वो कमीने लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते है, उसी तरह नष्ट हो जाते है जिस तरह कोई साप चीटियों के टीलों में जा कर मर जाता है.
* Those base men who speak of the secret faults of others destroy themselves like serpents who stray onto anthills.
* शायद किसीने ब्रह्माजी, जो इस सृष्टि के निर्माता है, को यह सलाह नहीं दी की वह ...
सुवर्ण को सुगंध प्रदान करे.
गन्ने के झाड को फल प्रदान करे.
चन्दन के वृक्ष को फूल प्रदान करे.
विद्वान् को धन प्रदान करे.
राजा को लम्बी आयु प्रदान करे.
* Perhaps nobody has advised Lord Brahma, the creator, to impart perfume to gold; fruit to the sugarcane; flowers to the sandalwood tree; wealth to the learned; and long life to the king.
* There is no enemy like a yajna (sacrifice) which consumes the kingdom when not attended by feeding on a large scale; consumes the priest when the chanting is not done properly; and consumes the yajaman (the responsible person) when the gifts are not made.
* तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो.
* My dear child, if you desire to be free from the cycle of birth and death, then abandon the objects of sense gratification as poison. Drink instead the nectar of forbearance, upright conduct, mercy, cleanliness and truth.
* वो कमीने लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते है, उसी तरह नष्ट हो जाते है जिस तरह कोई साप चीटियों के टीलों में जा कर मर जाता है.
* Those base men who speak of the secret faults of others destroy themselves like serpents who stray onto anthills.
* शायद किसीने ब्रह्माजी, जो इस सृष्टि के निर्माता है, को यह सलाह नहीं दी की वह ...
* Perhaps nobody has advised Lord Brahma, the creator, to impart perfume to gold; fruit to the sugarcane; flowers to the sandalwood tree; wealth to the learned; and long life to the king.
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