है यु तो वो प्यारा सा हिस्सा हमारा
उसके बिना जेसे है बेरंग सा हर किस्सा हमारा
हो लम्हा अगर दुख का तब रोती ये है
पर हो लम्हा अगर खुशी का तब भी छलकती ये है
टूटते है रिश्ते और बहती ये है
पर जुडते रिश्तों मे भी शरमाती ये है
दिल मे है जो दर्द उसे छुपती ये है
पर खुशिओं को चीख चीख कर बताती भी ये है ।
खुद ही हजारो सपने देखती भी ये है
और उसे पुरा करने रात रात भर जगती भी ये है ।
जी हाँ ये आंखे कितना कुछ जेलती है
खुद देखे हुए हजारों किस्से भुलाती भी ये है
और भुलाये हुए कुछ किस्से फिरसे दिखाती भी ये है।
-- अंशी
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