नींद बहुत आती हैं पढ़ते पढ़ते...
माँ होती तो कह देता, एक कप चाय बना दो. !

थक गया जब रोटी खा खा कर,
माँ होती तो कह देता परोठा बना दो. ! 

भीग गई आँसुओ से आंखें मेरी...
माँ होती तो कहेता आँचल दे दो.!

रोज वही कोशिश खुश रहने की,
माँ होती तो मुस्कुरा लेता.!

देर रात हो जाती हैं घर पहुचते - पहुचते
माँ होती तो वक़्त से घर लौट जाता. !

सुना है कई दिनों से वो भी नही मुस्कुराई,
ये मजबूरियां न होती तो घर चला आता.!

बहुत दूर निकल आया हूँ घर से अपने,
जो तेरे सपनों की परवाह न होती, तो बस घर चला आता !


                  Rajni Parmar

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