दहेज प्रथा की समस्या
 हां हां वह बाजार चला है  
अपनी जिंदगी की पूरी कमाई निछावर करने,
अपनी प्यारी सी बेटी के लिए पति और अपने लिए खरीदने दामाद चला है।
हां हां वह बाजार चला है 


दहेज का अर्थ है जो संपत्ति विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ से वर को दी जाती है उसे हम दहेज कहते हैं।


समस्या

समस्या कहां उत्पन्न होती समस्या तब उत्पन्न होती है जब वर की तरफ से मोटी रकम की मांग की जाती और ना देने पर वर की तरफ से वर के मां बाप भाई बहन उनके रिश्तेदार सबसे पहले वधु को प्रताड़ना करते हैं वधु के परिवार को बुरा भला कहते हैं। दहेज के लिए हमेशा उनको ताना देते रहते हैं  और उससे भी नहीं होता है तो वधु को मौत के घाट उतार देते हैं।

रोकथाम

अगर वर के तरफ से  शादी के पूर्व या शादी होने के बाद और वर के तरफ से कोई भी तरह का उपहार या सीधी बातों में कहूं तो दहेज मांग की जाए तो हमें सबसे पहले सामाजिक स्तर से इसे सुलझाना चाहिए फिर भी माने तो तब  हमें प्रशासनिक स्तर से वर और उसके परिवार को जेल के काल कोठली में डालना चाहिए।

दहेज नहीं यह एक दानव है एक बेच रहा मानव है

और जो खरीद रहा मानव के शक्ल में एक दानव है दहेज नहीं यह एक दानव है


निदान

1. हमें अपनी बेटी/बहन के शिक्षा स्तर को बढ़ावा देना होगा।
 2.हमारे पूर्वजों द्वारा की गई गलती को हम बदल नहीं सकते लेकिन उसमें सुधार कर सकते हैं।
3.हम जैसे युवा को सामने आकर दहेज का विरोध करना होगा तभी जाकर हमारे समाज में एक अलख जगेगी।।   


 दहेज नहीं यह दानव है इसमें पीस रहा हर एक मानव है।

धन्यवाद
आचार्य गणेश कुमार पोद्दार

Acharya Ganesh Kumar Poddar

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