विद्वान् लोग जो तत्त्व को जानने वाले है उन्होंने कहा है की मास खाने वाले चांडालो से हजार गुना नीच है. इसलिए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं.

The wise who discern the essence of things have declared that the yavana (meat eater) is equal in baseness to a thousand candalas (the lowest class), and hence a yavana is the basest of men; indeed there is no one more base.


शरीर पर मालिश करने के बाद, स्मशान में चिता का धुआ शरीर पर आने के बाद, सम्भोग करने के बाद, दाढ़ी बनाने के बाद जब तक आदमी नहा ना ले वह चांडाल रहता है.

After having rubbed oil on the body, after encountering the smoke from a funeral pyre, after sexual intercourse, and after being shaved, one remains a chandala until he bathes.


जल अपच की दवा है. जल चैतन्य निर्माण करता है, यदि उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है. पानी को भोजन के बाद तुरंत पीना विष पिने के समान है.

Water is the medicine for indigestion; it is invigorating when the food that is eaten is well digested; it is like nectar when drunk in the middle of a dinner; and it is like poison when taken at the end of a meal.


यदि ज्ञान को उपयोग में ना लाया जाए तो वह खो जाता है. आदमी यदि अज्ञानी है तो खो जाता है. सेनापति के बिना सेना खो जाती है. पति के बिना पत्नी खो जाती है.

Knowledge is lost without putting it into practice; a man is lost due to ignorance; an army is lost without a commander; and a woman is lost without a husband.

Chanakya Neeti

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk