चाणक्य नीति : भाग - 18 | Chanakya Neeti : Chapter - 18
* इन बातो को बार बार गौर करे...
→ सही समय
→ सही मित्र
→ सही ठिकाना
→ पैसे कमाने के सही साधन
→ पैसे खर्चा करने के सही तरीके
→ आपके उर्जा स्रोत.

* Consider again and again the following:
→ the right time,
→ the right friends,
→ the right place,
→ the right means of income,
→ the right ways of spending,
→ from whom you derive your power.


* द्विज अग्नि में भगवान् देखते है.
→ भक्तो के ह्रदय में परमात्मा का वास होता है.
→ जो अल्प मति के लोग है वो मूर्ति में भगवान् देखते है.
→ लेकिन जो व्यापक दृष्टी रखने वाले लोग है, वो यह जानते है की भगवान सर्व व्यापी है.

* For the twice born the fire (Agni) is a representative of God.
→ The Supreme Lord resides in the heart of His devotees.
→ Those of average intelligence (alpa-buddhi or kanista-adhikari) see God only in His sri-murti,
→ but those of broad vision see the Supreme Lord everywhere.


* ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए.
→ दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए.
→ पत्नी को  पति की पूजा करनी चाहिए
→ तथा  दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए .

* Agni is the worshipable by brahmana
→ the brahmana for the other castes;
→ the husband for the wife;
→ and the guest who comes for food at the midday meal for all.


* सोने की परख
→ उसे घिस कर,
→ काट कर,
→ गरम कर के और
→ पीट कर की जाती है.
उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण
→ वह कितना त्याग करता है,
→ उसका आचरण कैसा है,
→ उसमे गुण कौनसे है
→ और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है.


As gold is tested in four ways
→ by rubbing,
→ cutting,
→ heating
→ and beating

* so a man should be tested by these four things:
→ his renunciation,
→ his conduct,
→ his qualities
→ and his actions.
चाणक्य नीति : भाग - 20 | Chanakya Neeti : Chapter - 20


Chanakya Neeti


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