अपने आप की खोज ....
कहाँ जाकर रुकेगी पता नहीं।।
बिना मौसम की बारिश होना चाहती हूँ।
बिना रास्ते का मुसाफिर होना चाहती हूँ।।
कहीं दूर जंगल मे बस  ठहराव चाहती हूँ।
और बहुत सारी शांति।।
बनना चाहती हूँ एक ज़िंदगी,,,
बिना रिश्ते और रिवाज की।
बस...
मैं आज "मैं"होना चाहती हूँ।।

:Mansi Gandhi

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