- "पूर्ण इश्क़ हुआ था जब हम बी.एन. कॉलेज हाजीपुर के एनुअल फंक्शन के कार्यक्रम में गये थे| हुआ यूँ था कि कॉलेज मैनेजमेंट अपनी वार्षिक फंक्शन के लिए पद्मश्री फोक क्यून मालिनी अवस्थी को क्लचरल प्रोग्राम के लिए बुलाया था| मैं उन दिनों हाजीपुर में ही रहता था| अनोखिया के हृदय-विदारक स्टेटमेंट के कारण मेरा दिल चकनाचूर हो गया था| मुझे भी कार्यक्रम की जानकारी तो थी| लेकिन मैं जाना नहीं चाहता था| तभी शाम ढ़लते ही पप्पुआ मेरे पास आया और कहने लगा " "दोस्त ...! दोस्त ....रे! आज मालिनी अवस्थी का प्रोग्राम देखने चलेगा कि नहीं"? मैं गमगीन होकर बोला "नहीं ...रे! मैं नहीं जाऊँगा"| तिस पर पप्पुआ बोला "जिसके कारण तू नहीं जाएगा वह तो जा रही है प्रोग्राम देखने"| यह सुनते ही मेरे आँखों में जुगनू जगमगा उठा| मैं हर्षित होकर पूछने लगा "तुमको कैसे पता चला रे"? तो वह बोला "आई थी वह हमारे मकान-मालिक की बेटी पिंकिया के पास प्रोग्राम देखने के लिए चलने को कहने| मैं उस समय चापा-कल पर बर्तन धो रहा था तो था उसकी बातें सुन लिया"| मैं इसके आगे कुछ पूछे बिना ही दो मिनट में नूडल्स के जैसे तैयार हो चल दिया पप्पुआ के साथ प्रोग्राम देखने के लिए बी.एन. कॉलेज के तरफ़| या यूँ कहिए अनोखिया को एक नज़र देखने के लिए चल दिया था मैं|

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

हम जब कॉलेज कैंपस में पहुँचे तो भीड़ बहुत ही तगड़ा वाला था वहाँ| स्टेज पर म्यूजिक मास्टर अपने-अपने वाद्य-यत्रों से श्रोताओं को झूमा रहा था तभी अलाउंसर स्टेज पर आकर "हैलो ...चिक! हैलो ...चिक"| करके माइक टेस्टिंग कर आदरपूर्वक स्टेज पर मालिनी अवस्थी जी को आमंत्रित करता है| मैं, पप्पुआ के संग बैचेन होकर इधर से उधर भटक-भटक कर अनोखिया और पिंकिया को ढ़ूँढ़ने लगा| तभी स्टेज पर गायिका श्रोता-दर्शकों को अभिवादन करती हुई आलाप लेना शुरू कर देती है|

"बारी उमिड़िया, मैं ब्याह के आई / अरे ...मैं भोली सैंया नादान" आलाप कान में गूँजते ही पिंकिया संग अनोखिया मुझे नज़र आने लग गई| मैं ख़ुशी से चौड़ा होता हुअा गमछा को गले में गोल घुमा कर पप्पुआ का हाथ जोर से पकड़ कर खींचता हुआ अनोखिया के पास जा पहुँचा| तब तक हमें आते अनोखिया भी देख चुकी थी| वह केहुनी मार कर पिंकिया को आँखें तिरछा करके हमें दिखा रही थी इस से हम समझ गये थे कि वह हमें देख चुकी है| हम अनोखिया के पास पहुँच गये थे|

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

गायिका आगे आलाप भरी "ऐसी विपत पड़ी मोरे गुइयाँ / कछु न समझे अाजान" यह पंक्ति सुनते ही अनोखिया मुझे देख कर खिलखला कर हँस पड़ी| अनोखिया को हँसते देख पप्पुआ मुझसे कहने लगा "दोस्त लड़की हँसी तो समझो फँसी"| तभी ढ़ोलकिया ज़ोर-ज़ोर से ढ़ोलक पर थाप मारने लगा| मंजीरा ताल से ताल मिलाने लगा| माहौल में एक मस्ती छाने लगी लगी| जन समूह झूमने लगा| तभी गायिका अगली तान छोड़ी "सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ .....सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ, .....सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ"| गायिक एक ही पंक्ति को स्वरों के उतार-चढ़ाव में गाती रही और अनोखिया मुझे देख कर हथेली के अँगुलियों को कली से फूल बना कर दिखा कर रिझाती रही| मैं उसकी यह अदा देख-देख कर पगलाया जा रहा था| उफ्फ ....उसकी ये कातिलाना अदा|

गीत-संगीत का दौर चलता रहा| गायिका जैसे ही अगली पंक्तियों की स्वर-लहरी छेड़ी "बारह बरस की मैं ब्याह के आई / सैंया उड़ावै कनकैयाँ मैं का करूँ" हमारे नयनों की पेंच भी लड़ने लगी| हमारे दिल के पतंग का माँझा एक दूजे के नैनों में उलझने लगा| संतूर के धुन पर हमारे ऊपर इश्क़ का फितूर छाने लगा| हम नाचने लगे| गुनगुनाने लगे|

तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 1   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 2   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 3   ---   तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

अागे गायका आलाप लेती है "ओ.... / पंद्रह बरस की मैं ...अरे! गौवने पे आई / सैंया छुड़ावै मो से बहियाँ मैं का करूँ" यह सुनते ही अनोखिया इतरा कर मुझे दिखाने लगी| मानों वही बहियाँ छुड़ाये भागी जा रही हो| तभी अगली पंक्तियों की सुर-लहरी कानों में उमड़ती है "सोरह बरस मोरी बारी रे! उमिड़िया / सोलह बरस गुइयाँ ...सोलह बरस / सैंया पुकारे मैया-मैया मैं का करूँ/ सैंय‍ा पुकारे मैया-मैया मैं का करूँ / सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ" गाना खत्म होते ही अपनी चोटी को झटक कर मेरे गर्दन पर मार कहती है अनोखिया "चल हट निगोड़े, जा-जाकर कर मम्मी के पल्लू में छिप जा"| > तेरे इश्क़ में आडवाणी हो जाएंगे सनम - 4

Rajan Singh

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