हम जब कॉलेज कैंपस में पहुँचे तो भीड़ बहुत ही तगड़ा वाला था वहाँ| स्टेज पर म्यूजिक मास्टर अपने-अपने वाद्य-यत्रों से श्रोताओं को झूमा रहा था तभी अलाउंसर स्टेज पर आकर "हैलो ...चिक! हैलो ...चिक"| करके माइक टेस्टिंग कर आदरपूर्वक स्टेज पर मालिनी अवस्थी जी को आमंत्रित करता है| मैं, पप्पुआ के संग बैचेन होकर इधर से उधर भटक-भटक कर अनोखिया और पिंकिया को ढ़ूँढ़ने लगा| तभी स्टेज पर गायिका श्रोता-दर्शकों को अभिवादन करती हुई आलाप लेना शुरू कर देती है|
गायिका आगे आलाप भरी "ऐसी विपत पड़ी मोरे गुइयाँ / कछु न समझे अाजान" यह पंक्ति सुनते ही अनोखिया मुझे देख कर खिलखला कर हँस पड़ी| अनोखिया को हँसते देख पप्पुआ मुझसे कहने लगा "दोस्त लड़की हँसी तो समझो फँसी"| तभी ढ़ोलकिया ज़ोर-ज़ोर से ढ़ोलक पर थाप मारने लगा| मंजीरा ताल से ताल मिलाने लगा| माहौल में एक मस्ती छाने लगी लगी| जन समूह झूमने लगा| तभी गायिका अगली तान छोड़ी "सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ .....सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ, .....सैंया मिले लड़कैयाँ मैं का करूँ"| गायिक एक ही पंक्ति को स्वरों के उतार-चढ़ाव में गाती रही और अनोखिया मुझे देख कर हथेली के अँगुलियों को कली से फूल बना कर दिखा कर रिझाती रही| मैं उसकी यह अदा देख-देख कर पगलाया जा रहा था| उफ्फ ....उसकी ये कातिलाना अदा|
Tags: Hindi
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