फूलचनमा को गाँव आने पर बूट यादव बड़ी गौर से उसके हरकतों पर ध्यान दिए हुए थे| फूल के रोम-रोम से रोमांस झलक रहा था यह समझते देर न लगी बूट बटुक यादव को| फूल साँझ पहर दलान के पीछे मोबाइल पर कृष्णकली से खुसुर-फुसुर बतियाने में व्यस्त था तभी बूट यादव हौले से उसके नजदीक जाकर एक शादी कार्ड पकड़ा दिया| फूलचनमा एकदम से बाबू जी को देख हकबका गया| हड़बड़ाहट में फूल ने फोन काट दिया| बाबू जी वहाँ से जल्दी ही चले गये| और फूल कार्ड देख कर सदमे में आ गया| कार्ड पर लिखा था बुलेटिन फूलचनमा यादव संग बिरखी कुमारी| उसके दिल में पतझड़ का मौसम छा गया| कृष्णकली को धोखा देने का मूड था नहीं, और बाबू जी के फैसले के आगे कुछ कहने की हिम्मत पैदा कर नहीं सकता था|
हमको जब चुभक्कन भैया फोन पर फूलचनमा यादव के विवाह के विषय में बतलाये तो हमारे खुशी का ठिकाना न रहा| हम देखना चाहते थे फूल के थोपड़े पर प्यार में टूटे दिल का दर्द| लेकिन हमको इतने में चैन न थी| हमको थ्रिल चाहिए था| हमारे दिमाग में छोटी-छोटी चीटियाँ चुटुर-चुटुर काटते हुए रेंगने लगी| हमारा दिमाग बौखलाने लगा फूल से बदला लेने को| ससुरे को दहेज में बढ़िया रकम, गाड़ी इत्यादि जो मिल रहा था| हमको न तो प्यार ही मिल सकी और न ही दहेज| उसको प्यार मिले या न मिले दहेज तो मिल ही रहा था| वही बात हमसे बर्दास्त न हो सका| हम बिस्कुट खा, खा कर कृष्णकली के पीछे पड़ गये भड़काने के लिए|
"चुऽ लागल, चुऽ लागल, चुऽ लागल, हो .......राजा चुऽ लागल| अाहो! जब से चढ़ल बैशखवा कि राजा चुऽ लागल"| - लोडिसपिकर पर जोर-जोर से कानफारू स्वर गाना बज रहा था| आँगन में शुभ-शुभ के लगनमा के धुन में माँ, बहन, भौजाई चुमावन गीत गाती, धूम मचाती हुई फूलचनमा को छेड़ने का कोई मौका न चूक रही थी| दरवाजे पर लोडिसपिकर के गीत पर गाँव के मनचले लड़के ठुमका लगाने में मसरूफ|
ढ़ोल-तासो के गूँज में गाँव उद्दीप्त हो महक उठा| बच्चे, बुजुर्ग, जवान सभी बारात जाने के लिए बूट बटुक यादव के दरवाजे पर एकत्रित होते रहे| महिलाएँ मंगल गीत गाती हुई किलकारियाँ भर रही थी| गाँव के चहुँदिशा में उमंग की लहर सरपट दौड़ लगा रही थी| तभी एक अॉटो रिक्शा आकर बूट बटुक यादव के दरवाजे पर रूकी| सबका ध्यान अॉटो से निकलने वाली लड़की पर जाकर अटक गयी| कोई कहता बूट यादव ने तो धमाल कर दिया बेटे के बियाह में नाचने वाली बाई जी को बुला कर; तो कोई कहता होगी कोई मनचली रिश्तेदार जिसे शहर का हवा लग चुका है| तभी तो मोडर्न कपड़ों में आयी है गाँव| सौ लोग, सौ तरह की बातें| किसी को नहीं पता आखिर है कौन लड़की?
हमरा नज़र जैसे ही कृष्णकली पर पड़ा, हम खुशी से मकई के लावा के तरह अंदर ही अंदर खिलखिला उठे| कृष्णकली हमको देखते ही चौवन्नी मुस्कान ओठों पर ला मन ही मन कहने लगी चिंता न करो हम आ गये है| हमारी बाछें खिल उठी| हम दौड़ते हुए यह खबड़ फूलचनमा यादव को सुनाने पहुँच गये| वहीं चुभक्कन भैया भी खड़े थे| वह यह खबड़ सुनते ही मन के भीतर कठघोड़वा नाच नचाने लगे| रिश्तेदार व आस-पड़ोस की कुछेक महिलाएं भी वहाँ थी| यह खबड़ सुनते ही बाढ़ के पानी के तरह हुँ-हुँ करते एक-दूसरे के कानों में फुसफुसाने लगी| बात बूट बटुक यादव तक पहुँची| वह पूरे पावर में तरंगते हुए दरवाजे पर आये|
इधर कृष्णकली गाँव भर के मनचले लड़को के संग "बिना बॉल बारले कुछहु न लौकी, जवानी कैतनो चौकी पर छौकी, गाने के धुन पर नाचने में मगन थी|
बूट बटुक यादव रमकते हुए भनभना कर कृष्णकली के बालों पर लपका ताकि उसे घसीट कर यहाँ से भगा सके| लेकिन पहले से ही सतर्क कृष्णकली, बटुक यादव के बाँहों को पकड़ जोड़ से घुमाते हुए बोली - "गलती से भी ई गलती न कीजिएगा| नहीं तो बेटा के साथ-साथ पूरे खानदान को जेल का हवा लगवा देंगे हम| हमको भूल से भी गाँव की देहाती बुड़बक लड़की समझने की कोशिश तो कीजिएगा ही मत"|
गाँव के उकपाती लड़को ने यह दृश्य देखते ही लोडिसपिकर पर लगा दिया "बुढ़बा के दैलकई धक्का माइर साइकिल से छौड़ी"|
- "तुम्हारी ये मजाल की हमारे दरवज्जे पर आकर हमीं को धमकी दो| रूको बतलाते है तुम्हारी औकात"|
- "क्या औकात दीखाइएगा? मौगा बेटा का मौगा बाप हैं आप .....ठीक है| हम आजाद भारत के सशक्त नारी है ......ठीक है| भारत सरकार के नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम पर कलंक नहीं लगने दे सकते है हम ......ठीक है"|
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