अब आगे
सुबह-सुबह जब सचिन की आंखें खुली तो उसने देखा बेड पर सृष्टि गहरी नींद में सोई है । गालों पर आंसुओं के निशान थे शायद रात को रोते-रोते सोई थी ।
सचिन को सृष्टि एक मासूम बच्ची की तरह लगी ।
मगर अगले ही पल उसकी हरकत याद आ गयी तो दिल में नफ़रत के शोले भड़क उठे ।
सचिन ने अपना संदेश दूर करने के लिए खुद से अच्छे से छानबीन किया! क्योंकि उसे डर था कहीं उसकी बीवी भी तो बुरे कामों में लिप्त नहीं थी ।
जब उसकी छानबीन में सृष्टि निर्दोष साबित हुई तो सचिन का गुस्सा कुछ कम हुआ ।
सृष्टि ससुराल में ग़म को समेटे चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए जी रही थी । हालांकि सृष्टि की सास और ननद सृष्टि का ख्याल रखती थी । इसलिए सृष्टि भी सास और नन्द की आज्ञा का पालन करती थी ।
लेकिन जब भी कमरे में सचिन आता तो अंदर से सृष्टि डर जाती जाने कैसा रूप देखने को मिले?
सचिन थोड़ा गुस्सैल स्वभाव का था ।
सचिन हर रात सोफे पर सोता और सृष्टि बेड पर ।
शादी जैसी कोई फीलिंग्स सृष्टि के मन में नहीं थी ।

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एक दिन सृष्टि की सास ने कुलदेवी की पूजा के लिए मंदिर जाने को कहा सृष्टि से ।
"बेटा तुम तैयार होकर चलो और सचिन से भी बोल दो साथ चले दोनों पति-पत्नी को पूजा करना आवश्यक है" ठीक है ममा
सचिन कमरे में तैयार हो रहा था सृष्टि कमरे के गेट तक तो गयी, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई कि सचिन से कहे मंदिर जाने के लिए इसलिए वह सास के पास आ गयी और कहने लगी -"ममा वो  तैयार होकर ड्यूटी के लिए निकल रहे हैं क्योंकि एक केस के सिलसिले में उनका जाना बेहद जरूरी है "
बड़ी हिम्मत के साथ सृष्टि ने झूठ बोल दिया ।
तभी पीछे से आवाज आई "ममा मैं मंदिर जाने के लिए तैयार हूं"
सृष्टि ने पीछे मुड़कर देखा तो सचिन मुस्कुरा रहा था ।
अब तो सृष्टि शर्मिन्दा हो गई ।
चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गयी ।

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सचिन की ममा ने कहा तुम दोनों जाओ मैं दूसरी गाड़ी से पूजा का सामना लेकर आती हूं ।
तब सचिन ने गाड़ी स्टार्ट किया बीच सड़क पर आकर सचिन ने सृष्टि से कहा -" ओ आपके अंदर तो गुणों की खान है झूठ भी कितनी सफाई के साथ बोलती हो आप ,सृष्टि की चोरी पकड़ी गयी थी । मन ही मन खुद को कोसने लगी । हे ईश्वर ये शख्स कितना तेज है मुझे क्या पता था कि, पीछे से आ टपकेगा तभी तो झूठ बोल दिया । आज उसने झूठ बोलने से तौबा कर लिया ।
सचिन टकटकी लगाकर सृष्टि की तरफ देखने लगा ।

गाजरी कलर की हल्के कामों वाली साड़ी में सृष्टि निखरी निखरी लग रही थी ।
सृष्टि ने नजरों की तपिश महसूस करके चेहरा गाड़ी की खिड़की की तरफ़ घुमा लिया ।
सचिन ने फिर गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी । गाड़ी की फूल स्पीड से सृष्टि डर गयी और डरकर चीखने लगी फिर सचिन के कंधे पर सर रखकर उसे जोरों से पकड़ लिया । सचिन की मुस्कुराहट गहरी हो गई थी ।
मंदिर के ठीक सामने सचिन ने गाड़ी रोक दी ।
लेकिन सृष्टि आंखें मूंदें सचिन को जोरों से पकड़ रखी थी सचिन ने सृष्टि के बालों में हाथ फेरा तो सृष्टि होश में आई । आंखें खोलकर देखा तो सामने मंदिर दिखी ।
"मंजिल पर हम पहुंच चुके डियर अब चलें पूजा करने" सचिन ने प्यार से कहा तो सृष्टि छिटकर उससे दूर हो गयी । और सचिन जोरों से हँस पड़ा ।

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मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते समय सचिन के ही ख्याल में डूबी थी और गुस्से से लंबी-लंबी डिगें भर रही थी इसी क्रम में एक लड़के से सृष्टि से टकरा गयी नीचे गिरने ही वाली थी कि; किसी ने पीछे से सृष्टि को सहारा दिया । जब देखा तो वह सचिन था ।।
सचिन ने उस लड़के को जानबूझकर कर टक्कर मारते देख लिया था, इसलिए सृष्टि को छोड़ उस लड़के की तरफ़ लपका और जोर से तीन चार थप्पड़ लगा दिया ।। दोनों के बीच क्या बातें हुई सृष्टि को सुनाई नहीं पड़ी! लेकिन सचिन का गुस्सा देखने लायक था ।

सचिन की फ़ितरत को समझना सृष्टि के वश की बात नहीं थी । हमेशा सृष्टि को सचिन की हरकत निगेटिव ही लगता था । जबकि सचिन भी सृष्टि के सामने ऐसा ही रूप दिखाता था । सृष्टि को ये सोचकर बहुत बुरा लगा कि उस लड़के ने बेध्यानी में टक्कर मारा फिर भी सचिन ने उसे थप्पड़ मारा । सृष्टि को सचिन से बेहद नफ़रत महसूस हुई ।
सृष्टि की सास भी कुछ देर में मंदिर आ गयी थी फिर दोनों पति-पत्नी को एक साथ कर पंडित जी ने पूजा संपन्न कराया ।
पुलिस स्टेशन से फोन आ गया था तो पूजा के बाद सचिन पुलिस स्टेशन चला गया और सृष्टि सासू मां के साथ घर आ गयी ।

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वर्षा जब भी सृष्टि को फोन करती सृष्टि फोन रिसीव नहीं करती थी । उसकी नफ़रत अब भी कायम थी ।
वर्षा सचिन से ही सृष्टि के हाल चाल पूछ लिया करती थी । सचिन को वर्षा और सृष्टि के बीच के रिश्ते के बारे  में कोई जानकारी नहीं थी ।
एक दिन वर्षा ने सचिन को फोन किया था तो सचिन फोन रिसीव नहीं कर सका । उसे लगा कि वर्षा अपनी बेटी से बात करना चाह रही होगी । इसलिए जब सचिन घर आया तो वर्षा को फोन लगाकर सृष्टि के हाथ में दे दिया कि अपनी ममा से बात कर लो ।

फिर सचिन वाशरूम में चला गया जब वाशरूम से बाहर निकला तो उसने सृष्टि  की आवाज सुनी -"वर्षा मैडम किस जन्म का बदला ले रही हो तुम हमसे, सुन लो कान खोलकर मुझे तुमसे नफ़रत है नफ़रत तुम कभी मेरी ममा का स्थान नहीं ले सकती हो"
ये सुनकर सचिन गुस्से से बौखला गया और गुस्से में आकर सृष्टि के गाल पर जोर से तमाचा लगा दिया ।
सृष्टि के हाथों से मोबाइल छीनकर वह छत पर बात करने चला गया ।
सृष्टि अपनी बेबसी पर खूब रोने लगी । हे ईश्वर एक तो मेरी ममा को छीन लिया फिर सौतेली ममा के हाथों पापा को और अब पति भी दिया तो ऐसा जो पल पल रूप बदलता है । कभी गुस्सा कभी प्यार उसे सचिन का किरदार समझ नहीं आ रहा था ।

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सचिन ने वर्षा से कहा -"सृष्टि आपके साथ इतना बुरा सलूक करती है और कभी भी आपने कुछ बताया नहीं"
"अब उस लड़की को मैं सीधा करूंगा " सचिन के गुस्से से डर गयी वर्षा
"नहीं सचिन उसको कभी तकलीफ मत देना क्योंकि सृष्टि के पापा अपनी बेटी से बहुत प्यार करते हैं"
"और मैं अपने पति को कभी दुखी नहीं देख सकती"
"आज नहीं तो कल सृष्टि सही हो जाएगी बस वह गलतफहमी की शिकार है वर्ना वह कभी किसी को तकलीफ नहीं दे सकती है बहुत प्यारी बच्ची है"
वर्षा ने अपने आंसू को पोंछते हुए कहा ।
"वर्षा सृष्टि आपके साथ इतना बुरा सलूक करती है फिर भी उसके लिए आपके दिल में इतनी मुहब्बत है"
"और सबसे जरूरी बात कि मेरी बीवी किसी बेकसूर का दिल दुखाए मैं कभी बर्दाश्त नहीं करूंगा?"
"मुझे चाहे जो भी करना पड़े अपनी बीवी को सही रास्ते पर लाकर रहूंगा" सचिन ने मजबूती के साथ कहा ।

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"सचिन मेरी बेटी का दिल दुखाओगे तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" ये कहकर वर्षा ने गुस्से से फोन काट दिया ।
सचिन ने सोच लिया था कि सृष्टि को सही रास्ते पर लाने के लिए उसे क्या करना है?
वर्षा के दिल में भी ये ख्वाहिश उमड़ती थी कि ,सृष्टि उसे ममा कहकर पुकारे मगर उसे यह विश्वास था कि आज नहीं तो कल सृष्टि जरूर उसे ममा का दर्जा देगी । वर्षा अपने पति को बहुत चाहती थी इसलिए सृष्टि उसके साथ बुरा सलूक भी करती तो वर्षा छिपा लेती थी । क्योंकि वर्षा सृष्टि की पीड़ा को समझती थी ।
एक बेटी के लिए उसकी ममा का स्थान कोई और ले ,सहना मुश्किल होता है तभी वर्षा के दिल में सृष्टि के लिए कभी भी नफ़रत नहीं पनपा था ।
वर्षा की शादी के कुछ साल बाद ही उसके पति की मौत हो गई थी । पहले पति की मौत के बाद वर्षा ने तन्हा जीवन जीने का फैसला लिया था । मगर एक पार्टी में जब सृष्टि के पापा से मुलाकात हुई तो धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई और वर्षा का फैसला भी बदल चुका था । इसलिए वर्षा ने सृष्टि के पापा से दूसरी शादी रचा ली ये जानते हुए भी कि उनकी एक जवान बेटी है । वर्षा सृष्टि के पापा से चौदह साल छोटी थी ।। वर्षा एक अच्छे चरित्र की महिला थी । सहनशीलता उसमें कूट कूटकर भरी थी ।
सृष्टि धीरे-धीरे घर के कामों में हाथ बँटाने लगी थी ।

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सचिन की ममा सृष्टि से बहुत प्यार करती थी । इसलिए सृष्टि को एक सहारा सा मिल गया ।
सुबह-सुबह सृष्टि नहाकर वाशरूम से निकली थी और ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बोलों में कंघी करने लगी थी । सृष्टि की सास ने डार्क ब्लू कलर की सूट और मैचिंग ज्वेलरी दिया था सृष्टि को पहनने के लिए ।
सृष्टि इन कपड़ों में कयामत लग रही थी । सोफे पर लेटे लेटे ही सचिन अपनी बीवी की खूबसूरती में खोया था । आखिर वो भी एक मर्द था । कब तलक हुस्न के जाल से बच पाता । जज्बे अँगड़ाई लेने लगे थे ।
सचिन उठकर सृष्टि के पास आया और कंघी लेकर सृष्टि के लंबे बाल संवारने लगा । सृष्टि उसकी पकड़ से कसमसा रही थी । मगर वो तो एक नाजुक छुईमुई सी थी । कैसे जीत पाती सचिन से । इसलिए चुपचाप थी । सचिन ने सृष्टि के बालों में खुद से क्लैचर लगा दिया था । तभी सृष्टि की सासू की आवाज आई "सृष्टि बेटा एक कप चाय देना"
सृष्टि जाने को मुड़ी कि सचिन ने उसका दुपट्टा खींचकर उसे पकड़ लिया ।
"इतनी जल्दी क्या है जानेमन थोड़ी सेवा अपने पति की भी कर लिया कीजिए"
"प्लीज सचिन जी मुझे जाने दीजिए" सृष्टि ने मिमयाते हुए कहा ।
"ऐसे कैसे जाने दूं एक महीने होने को है और मैंने अपनी बीवी को छुआ तक नहीं इससे बड़ा और दुख क्या होगा?"

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सृष्टि ने सचिन की बोलती आंखों से  घबराकर पलकें झपका ली थी ।  ।
सचिन ने अपनी पकड़ ढीली कर दी तो सृष्टि जंप लगाकर भागी, मगर सचिन ने भी उसे जाने नहीं दिया और सृष्टि सचिन के सीने पर गिर पड़ी ।
फर्श पर लेटा सचिन सृष्टि की आँखों में देखते हुए अपनी आंखें दबा दिया ।
सृष्टि का चेहरा शर्म से लाल हो गया था ।
सृष्टि सचिन के सीने पर लेटी थी ये एहसास ने उसके अंदर भी सिहरन पैदा कर दिया । सृष्टि की सासू मां ने देखा कि सृष्टि कितनी देर लगा दी तो देखने कमरे तक आ गयी ।
सृष्टि को सचिन के सीने पर लेटे देख सचिन की ममा मुस्कुरा कर पलटी । सृष्टि सकपका गयी । जल्दी से उठी और सचिन भी शर्मिन्दा सा हो गया ।
सृष्टि किचन में चाय बनाने चली गई सचिन वाशरूम में घुस गया ।
क्रमशः  आगे का भाग अगले अंक में । > एडवेंचर लव - भाग - 5

Radha Yshi

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