भारत के सर का चंदन,
लौट आया है अभिनंदन
वीरता का है ये समंदर,
काफिरो के लिए है ये मौत का बवंडर।
वीरता का इसने परचम लहराया,
अर्जुन का दूजा रूप कहलाया,
दुश्मनो का सीना भेद कर,
तेरी वजह से हिन्द का सर और भी उठा है,
हर माँ का आँचल तेरे लिए बिच्छा है।
वीरता का दिया तुमने परिभाषा,
सभी हिंदुस्तानी की तुमने पूरी की है अभिलाषा।
तेरी वीरता का गुण हम गाएंगें,
तुझे अपने दिल में हम बिठाएंगें।
अभिनंदन तुम्हारा सत-सत नमन,
अभिनंदन तुम्हारा सत-सत नमन।
भारत के सर का चंदन,