तुम आओ तो खेलुँ रंग,
जैसे राधा खेले कृष्ण के संग।

तुझ बिन हूँ मैं बेरंग,
तुम आओ तो खेलूँ रंग।

पढ़े - मेरे कब्र के पास 

रंग लूँ खुद को तेरे रंग में,
संग लेकर आओ गुलाल सजन,

तो महक उठे मेरे तन-मन,
तुम आओ तो खेलूँ रंग।

पढ़े - माँ बहुत रोई थी

तुझे नैनो से देखते ही,
हो जाती हूँ मैं मस्त-मगन।

तुम आओ तो खेलुँ रंग।
तुम हो मेरे जीवन के पतंग,

पढ़े - इजहार हो न पाया

उड़ती रहूँ मैं बस तेरे संग,
तुम आओ तो खेलूं रंग।

दुनियाँ-दारी को भूल कर,
तेरे रंग में मैं घुल कर,
खिल जाऊँ मैं भी इस कदर,
जैसे खिलते है फूल-कमल,

तुम आओ तो मैं रंग जाऊँ।
तुम आओ तो मैं रंग जाऊं।।

Shubham Poddar

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