कमियों की बात मत कर गालिब। अगर गिनना शुरू करू तो दिन निकल जाएगा ।। Chandrashekhar Poddar
ना जाने ये किस मोड़ पर ले आई जिंदगी गालिब। जिस दर्द को सबसे छुपाते फिरते थे उसी ने शायर बना दिया।। Chandrashekhar Poddar
जिंदगी ये किस मोड़ पर खरी है गालिब। ना लोग समझ आते है ना उनके कारनामे।। Chandrashekhar Poddar
ठोकर खाने की एक आदत सी हो गई है गालिब। मगर ठोकर खा कर भी सम्हालना ना सीखा आजतक।। अगर सम्हाल गए तो और ठोकर ना खा सकेंगे। और कुछ नया ना...