वह सिराज के बाँहों पर पट्टी लगाने लगी जहाँ से खून बह रहा था उसी जगह को छूकर गोली चली गयी । अब सिराज की नजर पड़ी जख्म पर , फिर उसने गाड़ी स्टार्ट किया और अपने घर की तरफ गाड़ी मोड़ दी ।
वह लड़की कुछ अचंभित हुई मगर खामोश ही रही ।
शायद उसे सिराज पर भरोसा हो गया था ।
सिराज जब गेट के पास आया तो अब्बा को बरामदे में टहलते देखा है । अब्बा - " इतनी देर क्यों लगा दी सिराज और तेरे साथ ये लड़की कौन है उस लड़की के हुलिये को देख अब्बा हैराकुन थे ।"

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

"अब्बा एक मुसीबतजदा लड़की है आज रात यहीं रहेगी कल घर चली जाएगी ।"
"सुनो लड़की तेरे अब्बू का नाम क्या है ।"
"गुलफाम अली " लड़की ने जवाब दिया
और तेरा नाम -"जी आलिया गुलफाम ।"
फिर सिराज की अम्मी एक कमरे में आलिया को ले गयी । वह कमरा अच्छा खासा खूबसूरत था ।
आलिया फटी नजरों से कमरे को घूर रही थी ।
"बेटा लो डिनर कर लो" सिराज की अम्मी ने खाने की प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा ।
आलिया ने हाँ में सर हिलाया फिर वो आलिया को नाइट सूट पहनने को दी और चली गयीं ।आलिया ने गेट बन्द किया फिर धड़ाम से बिस्तर पर गिरी और रोती रही कुछ देर रोने के बाद शांत हुई तो थोड़ा सा खाना खायी और कपड़े चेंज करके सो गयी ।

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

सुबह नौ बजे सिराज उठा तो देखा आलिया सो रही है, फिर ऑफिस के लिए सिराज गाड़ी लेकर निकल गया । जब आलिया उठी तो सिराज की मम्मी उसे नए सूट लाकर दी जो बाई अम्मा से कहकर बाजार से मँगाया था । आलिया ने हिचकिचाया लेने से तो सिराज की अम्मी ने कहा बेटा मैं तेरी अम्मी के जैसी हूँ पहन लो ।
तो आलिया की आँखे भर आयी फिर उसने कहा -"आंटी मेरे अब्बू अम्मी इस दुनिया में अब नहीं रहे "
फिर वह सिसकने लगी तो सिराज की अम्मी जिया अहमद उसका सर सहलाने लगी ।
"बेटा रोते नहीं मुझे तुम अपनी अम्मी समझो "
"बेटा तेरी परवरिश फिर किसने की " जिया अहमद ने पूछा । "मेरे ताउ ताई ने मुझे पाला "
"मेरी जिंदगी मेरी लिए इम्तिहान हो गई "
"अब तो ताई जी हमें और रूसवा करेगी "

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

"हमारे साथ जो भी हुआ उसकी खतावार मैं नहीं हूँ बल्कि मेरे हालात हैं ।"
"आखिर ऐसा क्या हुआ? बेटा जो तुम इस हुलिये में थी" सिराज अहमद ने पूछा
"मैं यूनिवर्सिटी में क्लास लेने जाती थी स्टूडेंट्स को इसी साल मेरा एमफिल पूरा हुआ ,तो सर ने ऑफर दी थी फिर मैंने हाँ कर दी। "
"मेरी ताई ने हमें ताने देकर पाला है कभी अम्मी का प्यार नहीं दी! सारा काम करके पढ़ाई करती" मगर फिर भी कहतीं कॉलेज जाती है लड़कों से नैन मटक्का करने, हमेशा शक की नज़रों से देखतीं थी ।"
"मगर ताउ प्यार करते थे छुप छुपकर बस उन्हीं के भरोसे जीती जा रही थी ।"

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3 --- दीवानगी का सुरूर - 4 --- दीवानगी का सुरूर - 5 --- दीवानगी का सुरूर - 6 --- दीवानगी का सुरूर - 7

Radha Yshi

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk