नारी की आवाज
अब न सहेगी ये नारी,
अब न रुकेगी ये नारी,
अब न झुकेगी ये नारी,
अब न डरेगी ये नारी,
अबकी बार सब पे पड़नी है भारी,
अब बहुत सह लिया है हमने,
अब न सहेंगे हम ये ताने,
की नारी सिर्फ बना सकती है खाने,
अब बनना है हमको काली तभी चढ़ेगी दुश्मनो की बलि उनके ही गली,
जो गन्दी नजर डालेगा हम पे उसका विनास करेंगे हम घर में घुस-घुस के।
अब न सहेगी ये नारी क्यों की अब ये बन गयी है काली।
हम है अब काली की अवतार और दुश्मनो के घर में घुस के करेंगे हम वार।
यही है आज की नारी की आवाज,
हम है आज की नारी।
(प्रकाशित हुई राष्ट्रीय स्तर की एक मात्र त्रिमशिक समाचार पत्रिका भाषा-भारती में)
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