लफ़्ज़-ए-गुस्ताख़ी

आंखों की कहां कोई सुनता है, अब तो लफ़्ज़-ए-गुस्ताख़ी होती हैं। दिल कुछ कहता है, पर लफ़्ज़ कुछ और बयान होते हैं। पढ़े - दीवानगी का सुरू...
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