ऊपरी मंज़िल . . .

            मकान की ऊपरी मंज़िल पर अब कोई नहीं रहता वो कमरे बंद हैं कबसे जो 24 सीढियां जो उन तक पहुँचती थी, अब ऊप...
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किताबें . . .

किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं. महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं, जो शामें इन की सोहबत में कट...
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