मुझे वास्तविक जीवन पर आधारित कहानियां लिखना अच्छा लगता है । पर सब से पहेले में एक इंसान हूं ।
अपनी ज़िंदगी जीते हुए बहुत सारी ऐसी बातें है जो मन में आ कर टकरातीं है , अख़बार पढ़ती हूं , न्यूज देखती हूं , नोबेल पढ़ती हूं , अपने दोस्तों से बाते करती हूं , बहुत कुछ मन को लगता है ।
ये सब देख ते और पढ़ते हुए सोचती हूं की एक तरफ देश कितनी तरक्की कर रहा है , नई ऊंचाई पर पहोच रहा है ।
लेकिन दूसरी तरफ समाज के कई कड़वे सच भी है , जिन्हें हम देखना नहीं चाहते , उनसे आंखे मिलाओ तो परेशान हो जाती हूं या उदास हो जाती हूं।
कुछ ऐसी बातें जिनके बारे में हम नई पीढ़ियां वाकिफ भी है , मानते भी है कि बहुत कुछ हमारे देश में गलत हो रहा है , हम शिक्षित व्यक्ति होने के बावजूद कुछ ऐसा गीनोने कम कर रहे हैं जिन्हें हमारे भारत वर्ष में पाप, अपराध कहा जाता है । पर फिर भी कुछ लोग आज भी अपनी सारी लाज़- शर्म छोड़ कर ऐसे अपराध करते रहते हैं ।
आज़ादी की इतने साल बाद भी कुछ सोच अभी तक नहीं बदली । कुछ लोग अपनी वहीं पुरानी सोच ले कर चलते हैं , और शायद मुझे लगता है वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी ग़लत रास्ते पर ले जा रहे हैं ।
जिन्हों ने हमें आजादी दिलाई अगर वो आज जिंदा होते तो हम उन्हें क्या जवाब देते , ऐसे लोग जो आपनी गिरी हुई सोच ले कर देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं ।
हमारे समाज में कुछ लोग की एक ऐसी ही सोच, "कन्या भ्रूण हत्या "।
अगर में आपसे पुछु की आपकी ज़िन्दगी मै सब से खास इंसान कौन है ? सब लोगों का जवाब होगा मॉं ।
और सही भी है हर धर्म में मॉं का दर्जा भगवान के बराबर होता है । हमारे देश में कई देवी की पूजा अर्चना होती है ।
क्यों मॉं को ज़िन्दगी में इतनी बड़ी ऎहमियत दी गई है ? मॉं शब्द सुनते ही क्यू मन में जब्बात उमड़ ने लगते हैं ? क्यों इतना खास होता है मॉं और संतान का रिश्ता ?
मै अपनी मॉं को देखती हूं तो ये सारे सवालों के जवाब मिल जाते हैं । मॉं बिना किसी शर्त अपनी संतान को बहुत सारा प्यार करती है । मॉं ना सिर्फ हमें इस दुनियां में लगती है पर हमें इस दुनियां में जीना शीखती है ।
खुद गीले में सो कर हमें सूखे में सुलाती है , खुद धूप सहै कर अपने सीने से लगा ती है , खुद भूखी रह कर हमें खिलाती है, मॉं के बगैर औरत के बैगर इंसानियत ही आगे नहीं बढ़ सकती । लेकिन आज कुछ लोग एक माॉं के साथ एक औरत के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ?
पिछ्ले कुछ वर्षों में भारत देश में ही ३ करोड़ से भी ज्यादा लड़िकयों की गर्भ में ही हत्या कर दी गई है ।
२०११ की रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में करीबन ७५% लड़कियों की मॉं के गर्भ में ही हत्या की गई है । हमारी भारत माॉं की जमीन अपनी बेटियों की खून से लाल हुई है । कब तक ऐसा होगा हमारे देश में ? और क्यू ?
साल २०११ की रिपोर्ट के अनुसार भारत भर में १००० लड़कों के सामने ९१५ लड़कियां है । और अब की बार साल २०२१ की गिनती में न जाने १००० लड़कों के सामने कितनी लड़कियों की गिनती हो कर आएगी ।
और न जाने कितनी ऐसी लड़कियों को इसी तरह मॉं के गर्भ में ही मार दिया जाएगा ।
कौन कर रहा है ये लोग जो ऐसे गिरे हुए काम करते हैं ? अगर आज के समय में ये सवाल पूछा जाए तो सब लोग यही जवाब देंगे की गॉंव में रहेने वाले लोग और गरीब-अनपढ़ लोग ऐसा काम करते हैं । प्रश्न का जवाब गॉंव या गॉंव के लोग नहीं पर बड़े बड़े शहरों में ही इस बेहूदा और गिनोने काम की शुरुआत हुई है । बड़े बड़े लोगों ने ही इस गिनोने काम की शुरुआत की है ।
ऐसा अपराध को कोई अनपढ़ गंवार नहीं पर बड़े शहेरो के पढ़े लिखे लोग ही बढ़ावा दे रहे हैं । यह एक अपराध होने के बावजूद कुछ डाॅक्टर भी ऐसे कामों अपना सहयोग दे रहे हैं । ये शर्मनाक हरकत करते हुए वे डाॅक्टर भी शरमाते नहीं ।
इंसान इंसान ना हो कर शैतान बन गया है । एक औरत जब अपने शरीर में गर्भ धारण करती है तब वो ये सोच कर उसे प्यार नहीं करती की गर्भ में बेटा है । मॉं के लिए अपनी हर संतान समान रूप होती है फिर चाहे वो बेटा हो या बेटी । एक औरत के लिए उसके पेट में पल रहे गर्भ को अपने शरीर का एक हिस्सा स्मजती है ।
और उस हिस्से को कुछ लोग गर्भ का लिंग परीक्षण करवा के कुछ इस तरह से निकाल फ़ेक ते है जैसे कि जैसे वो बच्चे इस दुनियां के लायक नहीं है ।
छोटे से गांव की ऐसी ही कहानी दीया की है । अपनी पिता के घर बड़े लाड प्यार से पली बढ़ी हुई । पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद दीया को अच्छी तरह से पढ़ाया लिखाया । ताकि उसे एक अच्छा ससुराल मिले । और हुआ भी कुछ ऐसा ही । दीया सुंदर - संस्कारी और शिक्षित लड़की थी । उसकी शादी की उम्र होती ही गरीब होने के बावजूद अच्छे घरों से रिश्ते आने शुरू हो गए ।
बड़े शहेर में रहने वाले रक्षित के संग दिया की शादी तैय हो गई । रक्षित एक कंप्यूटर इंजीनियर था । और दिल्ली जैसे बड़े शहर में एक प्रथित कंपनी में काम करता था । शादी से पहले उसे सरकारी नौकरी भी मिल गई । इनसे ससुराल वालों बहुत खुश थे की उन्हें एक पढ़ी लिखी नौकरी करती हुई बहू मिली । समाज में दोनों पक्षों का सम्मान बढ़ गया ।
कुछ ही दिनों में दीया और रक्षित की शादी कर दी गई । दीया के ससुराल वाले पढ़े लिखे लोग थे तो दहेज़ के सख्त खिलाफ थे । इस बात से दीया और उसके घर वाले खुश थे की कही तो अच्छे लोग है जो दहेज़ जैसी प्रथा को मानते नहीं है।
शादी के १ साल तो सब कुछ बहुत अच्छा चला । सास ससुर और रक्षित भी दीया के काम से बहुत खुश थे । दीया ने अपना परिवार और ऑफिस इतनी अच्छी तरह से संभाल लिया की किसी को उसके खिलाफ सिकायत कर ने मौका है नहीं मिलता था ।
हमारे देश में शादी हुई नहीं के परिवार वाले बच्चो के नाम सोच लिए जाते हैं । सभी नाम लड़कों के है सोचे जाते हैं ।। जैसे कि सब जाने ही हो की बेटा ही होगा ।
बस फिर होना क्या था यहीं बात दीया और रक्षित के साथ भी शुरू हो गई। ऐसी ही बातों बातों में अब दोनों की शादी को २ साल पूरे होने ही वाले थे और दीया ने अच्छी खुश ख़बर सुनाई दी । दीया मॉं बनने वाली है ये ख़बर सुन कर परिवार वाले बहुत खुश हो गए ।
घर में सब लोग बहुत खुश थे और सब से पहले दीया को परिवार के ही डॉक्टर से चेकअप के लिए दिखाया गया । कुछ प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टर ने रक्षित को दीया की अच्छी से ध्यान रखने को कहा । हॉस्पिटल से आते ही दीया की सास ने बोला की : " दीया बेटा अब तक सब से बड़ी खुशी तुम्ह देने वाली हो , मुझे मेरे पोते का मुंह देख ने को मिलेगा ।"
दीया एक पढ़ी लिखी नौकरी करती हुई लड़की थी ये बात सुन कर उसने अपनी सास को बोला की : " मम्मीजी बेटी भी तो हो सकती है ना ? आजकल बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं । दीया की ये बात सुन कर उसी सास गुस्सा हो गई और बोली कि आज से पहले हमारी पीढ़ी में किसी ने भी पहेली बेटी को जन्म नहीं दिया और अगर ऐसा लगा के तुम्हारे पेट में पल रही पहेली बेटी है तो उसे गिरा देंगे । " ये बात सुन कर ही दीया को लगा जैसे उसके पैर के नीचे से जाने किसी ने जमीन खिचली हो ।
दीया ने इस बात का सक्त विरोध किया । जैसे तैसे ५महीने गए नहीं की दीया की गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करवाने के लिए जोर दिया गया । जब दीया ने मना किया तो उसके ससुराल वालों ने उसे बहुत बुरा भला कहा ।
रक्षित एक कंप्यूटर इंजीनियर होने के बावजूद भी उसकी सोच अपने घर वालो के जैसे थी । दीया को समझ में आया कि रक्षित ने वे गरीब होने के बावजूद क्यू उसके साथ शादी की । चेकअप के बहाने दीया को हॉस्पिटल ले जाया गया । डॉक्टर के साथ रक्षित की पहले से ही बात हो गई थी ।
दीया को सोनोग्राफी रूम में ये बता कर ले जाया गया की रूटीन चेकअप करना है । पर अंदर जा कर अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया गया । रिपोर्ट से पता चला कि उसके गर्भ में बेटी है ।
दीया का ५ महीना चल रहा था । दीया ने सोनोग्राफी के दौरान अपने बच्चे की दिल की धड़कन भी सुनी थी । पर झूठ बोल कर दीया को हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया । ५ वे महिने में किसी महिला का गर्भ गिराया नहीं जा सकता ये एक कानून अपराध है , इसे माता की जान को भी खतरा हो सकता है । ये सब बातें जानते हुए भी दीया के साथ रक्षित ने ये सब किया । गर्भ गिरा ते समय दीया को ब्लड प्रेशर बढ़ गया और दीया की मौत हो गई ।
इन सब के पीछे कौन जिम्मदार है । दीया के ससुराल वाले , समाज की सोच या फिर वो डॉक्टर्स जिन्हें ने सब कुछ जानते हुए भी ऐसा अपराध किया । हर कोई अपना अलग अलग जवाब देगा । पर किसी ने भी ये नहीं सोचा की क्या दीया की क्या गलती , उसे मौत की सजा सिर्फ अपने गर्भ में बेटी को पाल रही है सिर्फ इसी बात के लिए।
भगवान को भी धरती पर अवतरित होने के लिए मॉं की कोख़ ज़रूरत पड़ती है । मॉं को भगवान के बराबर दर्जा दिया गया है । ये कुछ लोग जो " कन्या भ्रूण हत्या " के नाम पर एक मॉं की ही हत्या करते हैं ।
आधुनिक तकनीक ऐसे अपराधों के लिए नहीं बनाई गई । पर हम होने वाली तकलीफों को पहले से जाने उस पहचानें ताकि उस तकलीफ़ का इलाज़ करवा सके ।
अल्ट्रसाउंड टेस्ट , अल्ट्रासाउंड स्कैन ।
अल्ट्रासाउंड स्कैन/ टेस्ट में उच्च फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगें पेट के जरिये गर्भाशय में भेजी जाती हैं। ये तरंगे शिशु को छू कर वापिस आती हैं और कम्प्यूटर इन तरंगों को तस्वीर के रूप में परिवर्तित कर देता है। गर्भ में शिशु की स्थिति और हलचल के बारे में इस तस्वीर से पता चलता है । ना की गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग परीक्षण करवाने के लिए ये सुविधाएं उपलब्ध की गई है।
अगर पढ़े लिखे रक्षित ने ये बात समझी होती तो शायद आज दीया की मौत नहीं हुई होती । अनपढ़ गंवार लोगों से ज्यादा पढ़े लिखे लोग ऐसा अपराध करते हैं ।
नई तरक्की देश में हो रही है पर बेटी का होना पर न जाने क्या क्या सोच लेते हैं , कई लोग तो बेटियों को तो मॉं की कोख में ही मार डाला जाता है । जो नन्ही सी बच्ची अभी सिर्फ अपनी मॉं की कोख में ही आई है उसे दुनियां में आने से पहले ही मार दिया जाता है । आखिर कब तक ऐसे अपराध होते रहेंगे ।
अंत में सिर्फ यहीं कहूंगी । बेटी बचाओ देश बचाओ
" सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए ।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए। "
और न जाने कितनी ऐसी लड़कियों को इसी तरह मॉं के गर्भ में ही मार दिया जाएगा ।
कौन कर रहा है ये लोग जो ऐसे गिरे हुए काम करते हैं ? अगर आज के समय में ये सवाल पूछा जाए तो सब लोग यही जवाब देंगे की गॉंव में रहेने वाले लोग और गरीब-अनपढ़ लोग ऐसा काम करते हैं । प्रश्न का जवाब गॉंव या गॉंव के लोग नहीं पर बड़े बड़े शहरों में ही इस बेहूदा और गिनोने काम की शुरुआत हुई है । बड़े बड़े लोगों ने ही इस गिनोने काम की शुरुआत की है ।
ऐसा अपराध को कोई अनपढ़ गंवार नहीं पर बड़े शहेरो के पढ़े लिखे लोग ही बढ़ावा दे रहे हैं । यह एक अपराध होने के बावजूद कुछ डाॅक्टर भी ऐसे कामों अपना सहयोग दे रहे हैं । ये शर्मनाक हरकत करते हुए वे डाॅक्टर भी शरमाते नहीं ।
इंसान इंसान ना हो कर शैतान बन गया है । एक औरत जब अपने शरीर में गर्भ धारण करती है तब वो ये सोच कर उसे प्यार नहीं करती की गर्भ में बेटा है । मॉं के लिए अपनी हर संतान समान रूप होती है फिर चाहे वो बेटा हो या बेटी । एक औरत के लिए उसके पेट में पल रहे गर्भ को अपने शरीर का एक हिस्सा स्मजती है ।
और उस हिस्से को कुछ लोग गर्भ का लिंग परीक्षण करवा के कुछ इस तरह से निकाल फ़ेक ते है जैसे कि जैसे वो बच्चे इस दुनियां के लायक नहीं है ।
छोटे से गांव की ऐसी ही कहानी दीया की है । अपनी पिता के घर बड़े लाड प्यार से पली बढ़ी हुई । पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद दीया को अच्छी तरह से पढ़ाया लिखाया । ताकि उसे एक अच्छा ससुराल मिले । और हुआ भी कुछ ऐसा ही । दीया सुंदर - संस्कारी और शिक्षित लड़की थी । उसकी शादी की उम्र होती ही गरीब होने के बावजूद अच्छे घरों से रिश्ते आने शुरू हो गए ।
बड़े शहेर में रहने वाले रक्षित के संग दिया की शादी तैय हो गई । रक्षित एक कंप्यूटर इंजीनियर था । और दिल्ली जैसे बड़े शहर में एक प्रथित कंपनी में काम करता था । शादी से पहले उसे सरकारी नौकरी भी मिल गई । इनसे ससुराल वालों बहुत खुश थे की उन्हें एक पढ़ी लिखी नौकरी करती हुई बहू मिली । समाज में दोनों पक्षों का सम्मान बढ़ गया ।
कुछ ही दिनों में दीया और रक्षित की शादी कर दी गई । दीया के ससुराल वाले पढ़े लिखे लोग थे तो दहेज़ के सख्त खिलाफ थे । इस बात से दीया और उसके घर वाले खुश थे की कही तो अच्छे लोग है जो दहेज़ जैसी प्रथा को मानते नहीं है।
शादी के १ साल तो सब कुछ बहुत अच्छा चला । सास ससुर और रक्षित भी दीया के काम से बहुत खुश थे । दीया ने अपना परिवार और ऑफिस इतनी अच्छी तरह से संभाल लिया की किसी को उसके खिलाफ सिकायत कर ने मौका है नहीं मिलता था ।
हमारे देश में शादी हुई नहीं के परिवार वाले बच्चो के नाम सोच लिए जाते हैं । सभी नाम लड़कों के है सोचे जाते हैं ।। जैसे कि सब जाने ही हो की बेटा ही होगा ।
बस फिर होना क्या था यहीं बात दीया और रक्षित के साथ भी शुरू हो गई। ऐसी ही बातों बातों में अब दोनों की शादी को २ साल पूरे होने ही वाले थे और दीया ने अच्छी खुश ख़बर सुनाई दी । दीया मॉं बनने वाली है ये ख़बर सुन कर परिवार वाले बहुत खुश हो गए ।
घर में सब लोग बहुत खुश थे और सब से पहले दीया को परिवार के ही डॉक्टर से चेकअप के लिए दिखाया गया । कुछ प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टर ने रक्षित को दीया की अच्छी से ध्यान रखने को कहा । हॉस्पिटल से आते ही दीया की सास ने बोला की : " दीया बेटा अब तक सब से बड़ी खुशी तुम्ह देने वाली हो , मुझे मेरे पोते का मुंह देख ने को मिलेगा ।"
दीया एक पढ़ी लिखी नौकरी करती हुई लड़की थी ये बात सुन कर उसने अपनी सास को बोला की : " मम्मीजी बेटी भी तो हो सकती है ना ? आजकल बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं । दीया की ये बात सुन कर उसी सास गुस्सा हो गई और बोली कि आज से पहले हमारी पीढ़ी में किसी ने भी पहेली बेटी को जन्म नहीं दिया और अगर ऐसा लगा के तुम्हारे पेट में पल रही पहेली बेटी है तो उसे गिरा देंगे । " ये बात सुन कर ही दीया को लगा जैसे उसके पैर के नीचे से जाने किसी ने जमीन खिचली हो ।
दीया ने इस बात का सक्त विरोध किया । जैसे तैसे ५महीने गए नहीं की दीया की गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करवाने के लिए जोर दिया गया । जब दीया ने मना किया तो उसके ससुराल वालों ने उसे बहुत बुरा भला कहा ।
रक्षित एक कंप्यूटर इंजीनियर होने के बावजूद भी उसकी सोच अपने घर वालो के जैसे थी । दीया को समझ में आया कि रक्षित ने वे गरीब होने के बावजूद क्यू उसके साथ शादी की । चेकअप के बहाने दीया को हॉस्पिटल ले जाया गया । डॉक्टर के साथ रक्षित की पहले से ही बात हो गई थी ।
दीया को सोनोग्राफी रूम में ये बता कर ले जाया गया की रूटीन चेकअप करना है । पर अंदर जा कर अल्ट्रासाउंड टेस्ट किया गया । रिपोर्ट से पता चला कि उसके गर्भ में बेटी है ।
दीया का ५ महीना चल रहा था । दीया ने सोनोग्राफी के दौरान अपने बच्चे की दिल की धड़कन भी सुनी थी । पर झूठ बोल कर दीया को हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया । ५ वे महिने में किसी महिला का गर्भ गिराया नहीं जा सकता ये एक कानून अपराध है , इसे माता की जान को भी खतरा हो सकता है । ये सब बातें जानते हुए भी दीया के साथ रक्षित ने ये सब किया । गर्भ गिरा ते समय दीया को ब्लड प्रेशर बढ़ गया और दीया की मौत हो गई ।
इन सब के पीछे कौन जिम्मदार है । दीया के ससुराल वाले , समाज की सोच या फिर वो डॉक्टर्स जिन्हें ने सब कुछ जानते हुए भी ऐसा अपराध किया । हर कोई अपना अलग अलग जवाब देगा । पर किसी ने भी ये नहीं सोचा की क्या दीया की क्या गलती , उसे मौत की सजा सिर्फ अपने गर्भ में बेटी को पाल रही है सिर्फ इसी बात के लिए।
भगवान को भी धरती पर अवतरित होने के लिए मॉं की कोख़ ज़रूरत पड़ती है । मॉं को भगवान के बराबर दर्जा दिया गया है । ये कुछ लोग जो " कन्या भ्रूण हत्या " के नाम पर एक मॉं की ही हत्या करते हैं ।
आधुनिक तकनीक ऐसे अपराधों के लिए नहीं बनाई गई । पर हम होने वाली तकलीफों को पहले से जाने उस पहचानें ताकि उस तकलीफ़ का इलाज़ करवा सके ।
अल्ट्रसाउंड टेस्ट , अल्ट्रासाउंड स्कैन ।
अल्ट्रासाउंड स्कैन/ टेस्ट में उच्च फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगें पेट के जरिये गर्भाशय में भेजी जाती हैं। ये तरंगे शिशु को छू कर वापिस आती हैं और कम्प्यूटर इन तरंगों को तस्वीर के रूप में परिवर्तित कर देता है। गर्भ में शिशु की स्थिति और हलचल के बारे में इस तस्वीर से पता चलता है । ना की गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग परीक्षण करवाने के लिए ये सुविधाएं उपलब्ध की गई है।
अगर पढ़े लिखे रक्षित ने ये बात समझी होती तो शायद आज दीया की मौत नहीं हुई होती । अनपढ़ गंवार लोगों से ज्यादा पढ़े लिखे लोग ऐसा अपराध करते हैं ।
नई तरक्की देश में हो रही है पर बेटी का होना पर न जाने क्या क्या सोच लेते हैं , कई लोग तो बेटियों को तो मॉं की कोख में ही मार डाला जाता है । जो नन्ही सी बच्ची अभी सिर्फ अपनी मॉं की कोख में ही आई है उसे दुनियां में आने से पहले ही मार दिया जाता है । आखिर कब तक ऐसे अपराध होते रहेंगे ।
अंत में सिर्फ यहीं कहूंगी । बेटी बचाओ देश बचाओ
" सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए ।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए। "
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