दोनों पैदल ही कदम बढ़ा देते है| फूल को ज्यादा बातें सूझ नहीं रही थी| वह चुपचाप ही कदम बढ़ाता रहा| थोड़ी दूर तक चलने के बाद कृष्णकली ही बोली - "हम अइसे ही चलते रहेंगे तो रात हो जाएगी और हम रस्ते में ही रह जाएंगे"|
- "फिर क्या करें हम? कोई रिक्शा भी नहीं दिखाई दे रहा जो आपको बैठा देता उस पर"|
- "तो फिर साइकिल किस लिए रखें है आप? डबल लोडिंग में चलाने नहीं आता क्या आपको"?
- "आप...! आप हमारे साइकिल पर बैठियेगा"?
- "तो क्या हुआ? हम साइकिल पर बैठ कर नहीं जा सकते हैं क्या? .....चिंता मत कीजिए हम मौहल्ला आने से पहले ही उतर जाएंगे आपके साइकिल से"|
फूल हैंडिल को मजबूती से थाम कर साइकिल पर सवार हो गया| हौले से कृष्णकली भी साइकिल के पीछे कैरियर पर अपना दुपट्टा सँभालते हुए बैठ गयी| लेकिन वार्तालाप पर ब्रेक लग गया| मौहल्ले के बाहर ही संस्कृत विद्यालय के समक्ष कृष्णकली साइकिल से उतर गयी और फूल घंटी बजाते हुए तेजी से अपने रूम पर आ गया| रूम में आते ही सबसे पहले तीन-चार गिलास पानी घुट-घुट करके पी गया| उसका हलक सूखा हुआ था| उसके बाद सारा किस्सा मुझे सुनाने लगा| हम उसी टाइम कह दिये थे बेटा सेट हो गयी लड़की| पर वह मानने को तैयार ही नहीं था| वैसे उसके दिल में फुलझड़ियाँ छुड़छुड़ाती तो ज़रूर थी लेकिन स्वीकारने की हिम्मत न थी उसमें| एकदम फट्टू है साला| डरपोक, भीगी बिल्ली|
पर कहानी यहीं नहीं अटकी| कृष्णकली जितनी मुँहफट थी उतना ही दिमाग की तेज भी थी| दूसरी मुलाक़ात के बाद पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि अक्सर संस्कृत विद्यालय के निकट फूल का इंतज़ार करने लग गयी थी कृष्णकली| धीरे-धीरे फूल "ऐ...! लड़का" से फूल जी तक का सफर तय कर लिया| अक्सर का इंतज़ार रोजाना में तब्दील होने लग गया| फूल संस्कृत विद्यालय पर पहुँचता और कृष्णकली साइकिल के पिछले कैरियर से बीच के हैंडिल तक की सफर तय करके कॉलेज जाने लग गयी थी| कुल मिला कर कह सकते है, थोड़ा सा प्यार हो गया था बस थोड़ा ही बाकी था|
हमको फिर से गाँव जाना पड़ गया| धान फसल की कटाई के लिए| क्या करें? किस्मत ही खड़ाब है अपना तो पढ़ेंगे कैसे? फगुनिया कांड के बाद हमारे नाम के अनुसार ही हमको सब खदेरता ही रहता है| अगर कटाई में नहीं जाएंगे तो बाबू जी खर्चा-पानी भी बंद कर देंगे| एक तो देर से पढा़ना ही शुरू किये थे हमारे घर वाले ऊपर से बचा-खुचा कसर हम फेल हो-होकर पूरा कर दिये है| पूरे बाईस साल के हो गये है हम| लेकिन हैं अब तक इंटरमिडियट में ही|
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