Sapno%20ki%20Barat%20Rear%20A%20Poetry%20Vashu
आज मेरे सपनो की बारात निकली
दिल मे छुपी थी वही बात निकली
आंखों ने बात की दिल सुनता रहा
ये तो मुहोब्बत की शुरुआत निकली
रिश्तो का बंधन तो खुदा की मरज़ी
अफ़साने जैसी ये मुलाकात निकली
फूलो की सेज में मदहोशी का आलम
न्योछावर हुआ ये तो सुहागरात निकली

Vahshu

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