हेल्लो... हेल्लो.... हेल्लो.....
       
             सोच रहा था ये फोन तो उठाया है.. फिर भी ये रिंग क्यों बज रही हैं ? और अचानक सिद्धार्थ की आंख खुल गई .. आंख ओर देखता तो शैतान चुटकी मेरे मुंह में पानी डाल रही थी... फिर क्या होना था... बस भाई बहन की शरारत शुरू हो गई... और मां की डांट पड़े उससे पहले ख़तम भी हो गई... दोनों भाई - बहन की शरारत (महाभारत) कभी भी शुरू हो जाती थी।  पर सिद्धार्थ अपनी छोटी बहन से बहुत प्यार करता था। घर में सब से लाड़ली बेटी थी। 

           सिद्धार्थ एक छोटे शहर में रहने वाला लड़का था । अपने माता पिता और छोटी बहन के साथ रहता था । थोड़ा हसी मज़ाक के अंदाज़ वाला लड़का था । 

               सिद्धार्थ और चुटकी की शरारत ख़तम हो तो गई पर ये क्या सिद्धार्थ कुंभकर्ण की जैसे फिर से सौ गया । पर फिर से किसी के चिल्ला ने कि आवाज़ आई।  पर इस बार जो आवाज़ आई वो कोयल के जैसी मीठी थी । सिद्धार्थ कम्बल लपेटे हुए सब सुन रहा था.. ये आवाज़ पड़ोस में रहने वाली उसकी खास दोस्त काव्या की थी.... दोनों एक ही कक्षा में थे... और काव्या सिद्धार्थ को स्कूल जाने के लिए चिल्ला रही थी... की सिद्धार्थ.... " उठो... अभी तक सौ रहे हो..? स्कूल नहीं जाना क्या..? " बोलते हुए वो सिद्धार्थ के पास आ कर बैठ गई । आज काव्या बहोत खूबसूरत लग रही थी ।

              काव्या ने सिद्धार्थ के पास आ कर बोला - " आज होमवर्क किया की नहीं..? " हा रोज की तरह सिद्धार्थ कहा होमवर्क करने वाला था... पर अपना होमवर्क की बात को छोड़ कर काव्या को पूछा - " तुम ने किया क्या होमवर्क..? "  काव्या ने भी बोल दिया नहीं मैंने भी नहीं किया होमवर्क ... और फिर  सिद्धार्थ जल्दी से तैयार हो गया ।

           जल्दी से तैयार हो कर सिद्धार्थ स्कूल पहुंच गया । क्लास रूम में बैठे और क्लास शुरू हो गई... और टीचर भी आ गए... अब होना क्या था... पहला विषय गणित जिस में सिद्धार्थ ने होमवर्क नहीं किया था और गणित के शिक्षक जो विद्यार्थी होमवर्क नहीं करते थे... उसे बहुत मारते थे.... आते ही टीचर ने बोल दिया के " जिस ने भी होमवर्क नहीं किया वो खड़ा हो जाए... लड़कियों में सिर्फ काव्या ही खड़ी थी ।

            टीचर की चपेड खाने की बारी सिद्धार्थ की बारी आई... पर उसकी नज़र काव्या पर ही थी.... देख रहा था कि मार वो खा रहा है पर दर्द काव्या को हो रहा था... पर जब काव्या की बारी आई तो ऐसा सिद्धार्थ को महेसुस नहीं हुआ । 

            १५ अगस्त अब नज़दीक आ रहा था । स्कूल में तो  तरह तरह की प्रवृति होती थी...सारी लड़कियां १५ अगस्त के दिन जो कुछ कर  प्रवृत्ति में हिस्सा लिया था तो उसी में लगी थी... काव्या भी गई हुई थी... और सिद्धार्थ ने पेन लेने के लिए काव्या की बैग उठाई... बहुत अच्छे से सारी किताबें रखी हुई थी... फिर सिद्धार्थ ने काव्या की होमवर्क की नोटबुक निकाली... उसने देखा तो ये क्या काव्या ने तो होमवर्क किया है... फिर भी उसने टीचर की चपेड़ क्यों खाई..? ये सोच ने लगा... स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर जाते हुए सिद्धार्थ ने काव्या से पूछ लिया " काव्या तुम ने तो होमवर्क किया था.. फिर भी तुम ने मार क्यों खाई..? " पर काव्या ने कुछ नहीं कहा और घर चली गई ।


                 एक दिन चुटकी आए और सिद्धार्थ को बताया कि आज काव्या को उसके पापा ने बहुत मारा... सिद्धार्थ ने चुटकी से पूछा कि क्यूं मारा काव्या को ? तो चुटकी ने बताया की काव्या ने भाई तुम्हारे बारे में काव्या ने अपनी नोटबुक में कुछ लिखा था... और काव्या के पापा ने बस पढ़ लिया... इसी वजह से काव्या को मारा । 

                     सिद्धार्थ दौड़ ते हुए काव्या के घर पर चला गया... उसे देख ते ही काव्या के पापा और गुस्सा करने लगे... मुझे देखते ही दो चपेट लगाई... और सिद्धार्थ को उसके पापा के साम ने ला कर खड़ा कर दिया... फिर तो क्या होना था... पापा रहे घर के मुखिया उनके सामने किसी की कहा चल ने वाली थी... पापा ने उस दिन बहुत मारा..

                     पर उस दिन सिद्धार्थ को चला कि कोई तो है जो मेरे बारे में लिखा है...


          "   एक के बाद एक ज़ख्म में

        खाता रहा दर्द कोई और ले गया "


                          


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