दूर से राम राम . . .

किसी को क्या पता था,
की ऐसा भी दौर आएगा।
जिसमें इंसान इंसान से,
दूरसे ही राम राम करेगा।।

कहाँ हमसब हिल मिलकर,
एक समाज में रहने वाले।
अब अपनो से दूर रहने को,  
हम ही कह रहे।

सचमुच में लोगों ये,
कैसा दौर आ गया है।।
जिसमें इंसान इंसान से,
दूरसे ही राम राम करेगा।।

कभी सोचा न होगा की,
मंदिरों पर भी रोक लगाई जाएगी।
संकट में याद आने वाले,
भगवान के मंदिर बंद हो जाएंगे।

और कर न सकोगे पूजा प्रार्थनाएं,
संकटमोचन के दरबार में।
और क्या क्या देखना होगा,
आने वाले इस दौर में।।

जिसमें इंसान इंसान से,
दूरसे ही राम राम करेगा।।
लगता है ईश्वर भी रूठ गये,
इन पापीयों की करने से।

कितना अत्याचार किये,
उनकी बनाई दुनियाँ पर।
तभी स्वंय भी दूर हो गये,
मानो वो अपने भक्तों से।

नहीं करानी पूजा भक्ति,
अब इन डोंगी इंसानों से।।
जिसमें इंसान इंसान से,
दूरसे ही राम राम करेगा।।

किसी को क्या पता था,
की ऐसा भी दौर आएगा।
जिसमें इंसान इंसान से,
दूरसे ही राम राम करेगा।।


Sanjay Jain

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